2017-03-07

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विज्ञान और तकनीकी के वर्तमान युग में हिंदी कंप्यूटिंग की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। आज से कुछ वर्ष पहले जो चीजें देखने और सुनने में असंभव सी लगती थी, आज बदलते तकनीकी परिवेश में हमारी आँखों के सामने ही हकीक़त में बदल रहीं हैं। तकनीकी का पहिया इतनी तेजी से घूमा है कि भाषाई कंप्यूटिंग के क्षेत्र में एक क्रांति सी आ गई है। आज हर सॉफ्टवेयर कंपनी स्थानीयकरण (localization) की बात कर रही है। अब हर भाषा के लिए अलग–अलग सॉफ्टवेयर निर्माण करने की आवश्यकता नहीं हैं। जितनी सहजता से किसी सॉफ्टवेयर पर अंग्रेजी भाषा में काम किया जा जाता है उतनी ही सरलता और आसानी से अब दुनिया की किसी भी भाषा में काम करना संभव हो गया है। आज से लगभग एक दशक पहले अंग्रेजी के अतिरिक्त किसी अन्य भाषा में ईमेल भेजना कितना मुश्किल था, आज हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। किन्तु यूनिकोड जैसी नई एनकोडिंग प्रणाली के आगमन से डिजिटल कंप्यूटर की दुनिया ही बदल गई है और अब हम अपने हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में बिना किसी परिवर्तन के अंग्रेजी की तरह ही हिंदी में भी आसानी से ईमेल भेज सकते हैं।

आइए हिंदी में ईमेल भेजने से संबंधित आरंभिक तकनीकी समस्याओं, सॉफ्टवेयर तथा एनकोडिंग प्रणाली आदि पर कुछ चर्चा करते हैं :-

हिन्दी ईमेल की कुछ पुरानी समस्याएँ :


ईमेल भेजने और प्राप्त करने के लिए प्रमुख रूप से दो तरह के टूल काम आते हैं, एक ईमेल क्लाईंट तथा दूसरा वेब आधारित ईमेल सर्वर। आरंभ में क्लाइंट और सर्वर सॉफ्टवेयर की सभी कोडिंग केवल ASCII (American Standard Code for Information Interchange) प्रणाली पर आधारित थी। 8bit पर आधारित इस प्रणाली में कम्प्यूटर स्क्रीन पर केवल अंग्रेजी भाषा के अक्षरों को ही प्रदर्शित किया जा सकता था। हिन्दी में ईमेल करने के लिए कुछ वर्षों पहले तक हमारे पास एक मात्र विकल्प के रूप में ऑस्की फ़ॉन्ट आधारित सेवाएँ ही थी, जिसमें हम शुषा से लेकर वेबदुनिया तक के विभिन्न फ़ॉन्ट का उपयोग कर हिन्दी में ई-मेल कर पा रहे थे। परंतु इसमें भी बहुत सी समस्याएँ थीं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :
  • ईमेल के हैडर तथा विषय को अँग्रेजी में ही लिखना होता था क्योंकि यह हिन्दी में लिखना संभव नहीं था।
  • जिसको ईमेल किया जा रहा है उसके कंप्यूटर में भी वही फ़ॉन्ट संस्थापित (Installed) होना अनिवार्य होता था, अन्यथा उस ईमेल को पढ़ पाना संभव नहीं था।
  • मूल रूप से अँग्रेजी शब्दों के साथ ही काम करने के कारण हिन्दी शब्दों के आधार पर अपने आवश्यक ईमेल को खोजने तथा सहेज कर रखने में भी समस्याएँ आतीं थीं।
  • इस प्रकार की समस्याएँ आउटलुक एक्सप्रेस तथा वेब आधारित ईमेल सेवा जैसे वेबदुनिया या रेडिफ़ मेल दोनों में ही समान रूप से आती हैं।
  • यदि ऑपरेटिंग सिस्टम यूनीकोड का समर्थन करता है तो आपका ईमेल क्लाइंट तथा ब्राउज़र भी यूनीकोड हिन्दी समर्थन प्राप्त करने वाला होना चाहिए।
Unicode and hindi email

अगला कदम और समस्याओं का समाधान :

ईमेल सेवाएं प्रमुख रूप से दो प्रकार की एनकोडिंग प्रणाली पर आधारित होतीं हैं, एक ASCII और दूसरी यूनिकोड। वर्तमान में प्रचलित अधिकांश ईमेल सेवाएं आरंभ में ASCII एनकोडिंग प्रणाली पर ही आधारित थीं। किंतु, अब समय को साथ बदलाव आया और इन कंपनियों ने यूनीकोड एनकोडिंग प्रणाली को अपनाना शुरू कर दिया। जो ईमेल सॉफ्टवेयर अर्थात क्लाइंट और सर्वर ASCII  प्रणाली पर आधारित हैं उनमें हिन्दी या किसी अन्य भाषा में ईमेल भेजना मुश्किल काम है। किन्तु, जो क्लाइंट और सर्वर यूनिकोड प्रणाली पर आधारित हैं उनमें हिन्दी में सहजता से ईमेल भेजे जा सकते हैं। यूनिकोड वास्तव में दुनिया भर की सभी भाषाओं के प्रत्येक अक्षर के लिए कंप्यूटर में एक सर्वमान्य कोड उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। अत: यूनिकोड प्रणाली में हिंदी (देवनागरी) के किसी भी अक्षर को प्रदर्शित करने के लिए जो कोड उपलब्ध कराया गया होगा वह पूरे विश्व में अंग्रेजी (ASCII) की ही तरह मानक और सर्वमान्य होगा।
  • वर्तमान में लगभग सभी प्रमुख कंपनियों यथा; माइक्रोसॉफ्ट, याहू, एप्पल, आईबीएम, गूगल आदि के सभी सॉफ्टवेयर उत्पाद यूनिकोड प्रणाली को समर्थन करने वाले बनाए जा रहे हैं। जिससे अधिकांश समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो गई हैं।
  • विंडोज़ 2000 एवं इसके बाद के सभी संस्करणों में तथा वर्ष 2002 के बाद जारी लिनक्स के लगभग सभी संस्करणों में ऑपरेटिंग सिस्टम के स्तर पर ही डिफ़ॉल्ट रूप से हिन्दी यूनीकोड के समर्थन की सुविधा उपलब्ध रहती है। इन सुविधाओं में ईमेल क्लाईंट तथा ब्राउज़र भी शामिल हैं।
  • आजकल जावा आधारित कुछ ऐसे टूल्स भी प्रचलित हैं जिनको चलाने के लिए कंप्यूटर पर किसी प्रकार के यूनीकोड समर्थन की आवश्यकता नहीं है परंतु जावा वर्चुअल मशीन संस्थापित होना आवश्यक है । जी-मेल भी जावा स्क्रिप्ट पर चलता है अर्थात इसके लिए आपके मशीन में जावा संस्थापित होना तो आवश्यक है। इसके साथ आपका ब्राउज़र भी जावा स्क्रिप्ट चलाने के लायक होना चाहिए।
  • चूंकि आमतौर पर आज सभी उपलब्ध नए ब्राउज़र जावा स्क्रिप्ट का समर्थन करते हैं। जावा स्क्रिप्ट पर आधारित होने के कारण जी-मेल के नए संस्करण को अलग से डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात जब भी आप जी-मेल का उपयोग करते हैं यह नवीनतम संस्करण ही रहता है।
  • कुछ पुराने सिस्टमों जैसे; विंडोज़ 98 में इंटरनेट एक्सप्लोरर 6 का पूरा पैकेज संस्थापित करने से यूनीकोड हिन्दी के आंशिक उपयोग के लायक बनाया जा सकता है।


वर्तमान में ईमेल सेवा उपलब्ध कराने वाली सभी प्रमुख कंपनियां जैसे ; जी मेल, याहू मेल, रेडिफ़ मेल, हॉट मेल आदि यूनिकोड आधारित एनकोडिंग का प्रयोग कर रही हैं। जिससे अब हिन्दी में ईमेल भेजना कोई समस्या नहीं रही है। बस आपको अपने कंप्यूटर में यूनिकोड सक्रिय करना है और हिन्दी टाइपिंग की के लिए किसी इनपुट प्रणाली (typing method) को सीखना है। हिन्दी टाइपिंग के लिए भारत सरकार ने इनस्क्रिप्ट प्रणाली को आधिकारिक रूप से मानक घोषित किया है। यह आपके कंप्यूटर में पहले से ही मौजूद है। यदि आपको इसमे टाइपिंग नहीं भी आती है तो भी आजकल हिंदी टाइपिंग कोई समस्या नहीं रही है, अब आप फोनेटिक टाइपिंग (अंग्रेजी में टाइप करके हिंदी में लिखना) से भी आसानी से लिख सकते हैं। तकनीकी तो एक कदम और आगे बढ़ चुकी है, अब आप बोलकर (वॉइस टाइपिंग) भी हिंदी में टाइप कर सकते हैं।

मित्रो ! तकनीकी रूप से तो हिंदी ईमेल भेजने से संबंधित सभी समस्याओं का लगभग समाधान हो चुका है। अब बस मानसिक समस्याएँ ही बचीं हैं और इच्छाशक्ति न होने के कारण कुछ बाधाएँ हैं। तो इन मुश्किलों को भी दूर करके आप भी हो जाइए तैयार और भेजिए हिंदी में ईमेल।

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