आज का युग तकनीक का है, जिसे हम “टेक्नोयुग” भी कह सकते हैं, इसलिए आपने देखा होगा कि आज-कल हम प्रत्येक काम में टेक्नोलॉजी का भरपूर प्रयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर अब कोई भी पहले जैसा 25 पैसों वाला पोस्ट कार्ड या 75 पैसों वाला अंतर्देशीय पत्र खरीद कर चिट्ठियां लिखना पसंद नहीं करता है। इसकी बजाय हम मोबाइल पर एसएमएस या ई-मेल टाइप कर चुटकियों में अपना काम निपटाने में माहिर हो गए हैं। बच्चे भी आज-कल अपनी पढ़ाई ई-लर्निंग और ई-क्लासेस के माध्यम से पूरी करने लगे हैं। कुल मिला कर देखें तो हम अब टेक्निकली स्मार्ट बन गए है या स्मार्ट बनने के लिए कुछ-कुछ इस रास्ते पर चल पड़े हैं। खास बात ये है कि इन सब में हमारी नई पीढ़ी हमसे अधिक तेजी से दौड़ रही है।
आइए अब इसी तकनीक को थोड़ा भाषा के साथ जोड़कर भी देखते हैं। आज कल हम सभी कंप्यूटर पर आसानी से टाइपिंग कर लेते है, जैसे ई मेल भेजना, फेसबुक स्टेटस अपडेट करना या चैटिंग करना आदि। मुझे याद है जब सबसे पहले मैंने कंप्यूटर पर अपना नाम टाइप करके देखा था तब मैंने अंग्रेजी में ही किया था। क्योंकि, हिंदी या मराठी में यह सुविधा उपलब्ध होगी ही नहीं यह मानकर हमने कंप्यूटर और मोबाइल पर अंग्रेजी की-बोर्ड को देखकर अंग्रेजी में ही काम करना शुरू किया था। लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए वैसे-वैसे तकनीकी की नई-नई बातें पता चलती गईं। वर्ष 2007 में जब मैंने खादी और ग्रामोद्योग के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में कनिष्ठ हिंदी अनुवादक के रूप में काम करना शुरू किया तब सबसे पहले मैंने हिंदी में कंप्यूटर पर काम करना आरम्भ किया। आगे जब मुंबई के मुख्यालय में मेरा स्थानांतरण हुआ तब वर्ष 2010 में सबसे पहले यह पता चला की हिंदी (देवनागरी) के फॉन्ट दो प्रकार के होते हैं- यूनिकोड फॉन्ट और नॉन-यूनिकोड फॉन्ट। इसके बाद मुझे “माइक्रोसॉफ्ट इंडिक लैग्वेज इनपुट टूल” के बारे में पता चला जो विंडोज एक्सपी और विडोंज-7 पर चलता था। बाद में बैंक में पोस्टिंग मिलने पर कंप्यूटर पर अनिवार्य तौर से यूनिकोड में काम करना शुरू किया। इसके बाद कंप्यूटर पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में काम कैसे करें, इसपर मुझे अधिक जानकारी मिलनी शुरू हुई। माइक्रोसॉफ्ट इंडिक लैंग्वेज इनपुट टूल की सहायता से कोई भी व्यक्ति हिंदी या अन्य भारतीय भाषओं में आसानी से काम कर सकता है। यह टूल सभी एप्लिकेशनों पर सफलता पूर्वक कार्य करता हैं, और अंग्रेजी कीबोर्ड ले-आउट होने के कारण प्रयोग करने में भी सरल है। इसके बाद गूगल हिंदी इनपुट जो अंग्रेजी कीबोर्ड की सहायता से चलता हैं, के बारे में पता चला। फिर इनस्क्रिप्ट और बाराह आदि की जानकारी से कंप्यूटर पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध विविध तकनीकी सुविधाओं के बारे में पता चला।
हिंदी भाषा की विशेषता यह हैं कि यह एक सर्वसमावेशी भाषा हैं, इसमें संस्कृत से लेकर भारत की प्रांतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषाओं के शब्दों को भी अपने अंदर समाहित करने की क्षमता है। तकनीकी के इस युग में हिंदी ने भी अपने परंपरागत स्वरूप को समय के अनुरूप ढाल लिया है। कंप्यूटर के साथ हिंदी भाषा ने अब चोली-दामन का साथ बना लिया है। आज तकनीक के प्रत्येक क्षेत्र में हिंदी को अपनाना आसान हो गया हैं। टाइपिंग की सुविधा से लेकर वॉइस टाइपिंग की सभी सुविधाऐं आज उपलब्ध है। आवश्यकता केवल हिंदी भाषा के उपयोगकर्ताओं द्वारा इन नवीनतम तकनीकी सुविधाओं को अपनाने भर की है। ओसीआर अर्थात ऑप्टीकल कैरेक्टर रिकग्नीशन अर्थात प्रकाश पुंज द्वारा वर्णों की पहचान कर पूराने देवनागरी हिंदी टेक्स को युनिकोड फॉंन्ट में परिवर्तित करने की सुविधा से पूरानी किताबों का डिजीटलाइजेशन करने में मदद मिल रही है। इससे संस्कृत भाषा में लिखे गये लेख सामग्री को आसानी से हिंदी के युनिकोड फॉन्ट में परिवर्तित किया जा सकता हैं। इस तकनीकी से पूराने शास्त्र, ग्रंथों के डिजीटलाइजेशन से ज्ञान के नए डिजिटल स्रोत खुल रहे हैं। प्राचीन ग्रंथों की दूर्लभ प्रतियों का डिजीटलाइजेशन करने से उनमें उपलब्ध ज्ञान का फायदा सभी को होगा।
भारत सरकार ने हिंदी में विज्ञान तथा तकनीकी साहित्य और शब्दावलियाँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) की स्थापना की है। जिसका प्रमुख कार्य ज्ञान-विज्ञान तथा तकनीकी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले शब्दों के हिंदी पर्याय उपलब्ध कराना और तत्संबंधी शब्दकोशों का निर्माण करना है। यह आयोग हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के विकास और समन्वय से संबंधित सिद्धांतों के वर्णन और कार्यान्वयन का कार्य भी करता है। आयोग द्वारा तैयार की गई शब्दावलियों को आधार मानकर विभिन्न विषयों की मानक पुस्तकों और वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दकोशों का निर्माण करने और उनके प्रकाशन कार्य भी किया जाता है। इस साथ ही उत्कृष्ट गुणवत्ता की पुस्तकों का अनुवाद भी किया जाता हैं।
भारत की राजभाषा हिंदी को डिजिटल दुनियां में समृद्ध करने और बढावा देने में ऑनलाइन हिंदी पुस्तकों की महत्वपू्र्ण भूमिका सामने आ रही है। गूगल बुक्स और किंडल बुक्स आदि ऑनलाईन सुविधाओं की सहायता से आप अपने कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं की हजारों पुस्तकों को मुफ्त में अथवा पैसों का भुगतान करके पढ़ सकते हैं। गूगल बुक्स पर उपलब्ध पुस्तकों को आप कंप्यूटर या अपने लैपटॉप पर गूगल डाउनलोडर की सहायता से पीडीएफ फाईल में भी डाउनलोड करके रख सकते हैं। गूगल वॉइस टाइपिंग सेवा की सहायता से आप बोलकर टाइप कर सकते हैं। इस सुविधा से हिंदी टाइपिंग के लिए लगने वाले समय में काफी बचत हुई है। एन्ड्रॉइड मोबाइल पर हिंदी की ऑफलाइन शब्दावली सुविधा अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं के शब्दों के हिंदी शब्दार्थ ढूंढने में सहायक है। भाषा प्रौद्योगिकी तथा नित नई विकसित होने वाली तकनीकों से हिंदी के विकास को और भी गति मिलेगी।
यह लेख भारतीय स्टेट बैंक,नाशिक में वरिष्ठ प्रबंधक (राजभाषा) के पद कार्यरत श्री राहुल खटे द्वारा लिखा गया है। आप श्री राहुल खटे से उनके Facebook वाल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।
आकर्षक प्रस्तुति
हिंदी एवं भारतीय भाषाएँ अभी भी कंप्यूटिंग के आयाम में Complex scripts संवर्ग में शामिल हैं। बिना आपरेटिंग सीस्टम्स के shaping / uniscribe / rendering इंजिन के प्रचलित रूप में पाठ को प्रकट करना भी संभव नहीं है।
युनिकोड में देवनागरी के वर्णों, मात्राओं, चिह्नों की ही कोडिंग हुई है। संयुक्ताक्षरों, पूर्णाक्षरों की नहीं। जिससे यह इनपुट कुछ और, भण्डारण हेतु कुछ और, डिस्प्ले व मुद्रण कुछ और के तीन तह वाले (3 tier) जटिल प्रोग्रामों पर निर्भर है। विशेषकर डैटाबेस प्रोग्रामिंग व प्रोसेसिंग में अनेक समस्याएँ आती हैं।
इनके सरलीकरण के लिए आमूल चूल परिवर्तन की जरूरत है।
आपकी बात से पूर्णतः सहमत।
भारतीय भाषाओं में कंप्यूटिंग से संबंधित समस्या को और स्पष्ट करने तथा अपने बहुमूल्य विचार रखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद महोदय।