पृष्ठभूमि:
एक राजभाषा अधिकारी के रूप में काम करते हुए मेरे सामने जो तकनीकी समस्याएं आईं उनसे निजात पाने और कंप्यूटर, यूनिकोड, फॉन्ट, टाइपिंग आदि से संबंधित विभिन्न तकनीकी समस्याओं के समाधान खोजते-खोजते ‘अप्रैल 2016’ में www.hindietools.com वेबसाइट का निर्माण किया गया। इंटरनेट पर हिंदी अथवा अन्य भारतीय भाषाओं से संबंधित तकनीकी जानकारी तथा सॉफ्टवेयर/ टूल्स यत्र-तत्र काफी मात्रा में बिखरे पड़े हैं। अव्यवस्थित और बिखरी पड़ी हुई इस बहुमूल्य सामग्री को इस वेबसाइट के माध्यम से एक स्थान पर उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है, ताकि अधिकतर लोग इसका आसानी और सहजता से लाभ उठा सकें। वेबसाइट पर उपलब्ध बहुत सारे टूल्स और सॉफ्टवेयरों के विकास में मेरे अलावा कई अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं का योगदान हो सकता है। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूँ और हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
वेबसाइट पर उपलब्ध ई-टूल तथा तकनीकी एवं अन्य सामग्री:
शुरुआती दौर में इस वेबसाइट पर Kruti Dev, Devlys, APS, Kundli, Shusha आदि जैसे दर्जनों हिंदी के परंपरागत गैर-यूनिकोड फॉन्ट (Legacy Fonts) से यूनिकोड आधारित मंगल फॉन्ट (Mangal Font) में परिवर्तन तथा इसके विपरीत फॉन्ट परिवर्तक टूल उपलब्ध कराये गये। बाद में अंग्रेजी की-बोर्ड और रोमन लिपि की मदद से लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में फॉनेटिक टाइपिंग की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। इसके अलावा हमने इस वेबसाइट पर बिना किसी लॉगिन के हिंदी और अंग्रेजी में बोलकर टाइप करने (Voice Typing) की सुविधा भी उपलब्ध करायी है।
बेशक, आरंभ में इस वेबसाइट का निर्माण सरकारी विभागों, उपक्रमों एवं बैंकों आदि में राजभाषा हिंदी के क्षेत्र में कार्य करने वाले हजारों राजभाषा अधिकारियों, अनुवादकों आदि को उनके दैनिक कामकाज में आने वाली कठिनाइयों का समाधान प्रस्तुत करने के उद्देश्य किया गया था। बाद में विजिटर संख्या में लगातार वृद्धि होने और सैकड़ों लोगों से फीडबैक और अनुरोध प्राप्त होने पर इस वेबसाइट पर कुछ अन्य ई-टूल उपलब्ध कराने के साथ ही साथ ‘तकनीकी’ और ‘हिंदी भाषा’ तथा ‘ हिंदी साहित्य” आदि के संबंध में भी जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है।
आपके सहयोग की अपेक्षा:
इस वेबसाइट को बनाने के पीछे बस एक ही मकसद है कि हिंदी भाषा को तकनीकी दृष्टि से और समृद्ध बनाया जा सके। शुरू-शुरू में मैं इसे लेकर बहुत गंभीर नहीं था किंतु “6 महीने के अल्प समय में ही एक नई हिंदी वेबसाइट पर 65,000 से अधिक पेज विजिट, हजारों ईमेल सब्सक्राइबर और कमेंट्स” को देखकर मुझे लगा कि आपको मेरा यह प्रयास पसंद आ रहा है। लगता है लोगों को इसकी जरूरत है। बस आप सभी के शानदार समर्थन और उत्साहजनक फीडबैक देखकर मैंने अब इसे एक अभियान के तौर पर ले लिया है। हाँ, इस भाषाई अभियान में आपके समर्थन और सहयोग की आवश्यकता निरंतर बनी रहेगी। आइए, हमसे एक टीम के रूप में जुड़िए और अपने विचारों, सुझावों और लेखों के माध्यम से www.hindietools.com को और अधिक समृद्ध बनाइए ताकि हम इसे तकनीकी टूल्स आदि के अलावा डिजिटल दुनिया में निरंतर हो रहे बदलावों, स्थानीयकरण (Localization) तथा भाषायी कंप्यूटिंग पर होने वाले नित नए शोधपरक कार्यों की सूचना के साथ ही अपने पाठकों को समय-समय पर भाषा तथा साहित्य से संबंधित सार्थक और उपयोगी जानकारी उपलब्ध कराने का एक सशक्त मंच बना सकें।
अधिक जानकारी और सहयोग के लिए हमसे संपर्क करने के लिए आपका स्वागत है।
Sir,
Coomendable work by Hindi e-Tools.
1. Burmese language also has similar format that of Indian languages. Can be easily merged with Indian languages.
2 Pali and Prakrit are useful languages of Buddhism, Jainism.
3. Indian Bolis like Marwadi, Mewari, Shekhawati and Malwi, Nimari, Bhil, Gond Bhojpuri, Maithili Santhali Tulu and many other regional languages are marginalised languages.
4. North East languages also need attention and compilation through Devanagari Script..
5. As Indian languages have been amalgamated by Hindi e-Tool similarly Right to Left written languages like Hebrew Arabic, Persian, Pashto, Sindhi and Urdu sister languages may be brought under one umbrella.
6. Similarly Latin and Cyrillic family languages may be brought together
Submitted by a super senior citizen.